भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर इरफ़ान पठान ने लंबे समय बाद उस घटना का ज़िक्र किया है, जिसने उनके करियर की दिशा ही बदल दी थी। उन्होंने कहा कि साल 2009 के न्यूजीलैंड दौरे पर उन्हें टीम इंडिया से बाहर किए जाने में उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अहम भूमिका रही थी।
धोनी ने नहीं दिया इरफ़ान खान को खेलने का मोका
इरफ़ान ने बताया कि श्रीलंका सीरीज़ में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। केवल दो मैचों में चार विकेट लेकर उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें पूरा भरोसा था कि न्यूजीलैंड दौरे में उन्हें मौके मिलेंगे, लेकिन अचानक हालात बदल गए। टीम में उनका नाम तो रहा, मगर उन्हें मैदान पर उतरने का मौका नहीं मिला और कुछ ही समय बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
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उन्होंने कहा कि जब उनसे इस बारे में बात हुई तो साफ तौर पर कहा गया कि अब टीम में उनके भाई युसूफ पठान को नंबर सात पर उतारने की योजना बनाई जा रही है। इरफ़ान के अनुसार यह फैसला उनके लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि उन्होंने खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी और अच्छे प्रदर्शन के बावजूद बाहर होना उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था।
इरफ़ान ने कहा सही समय मोका नहीं मिला खेलने का
इरफ़ान और युसूफ दोनों उस दौर में भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे। दोनों भाइयों ने भारत को कई मौकों पर जीत दिलाने में योगदान दिया। इरफ़ान 2007 टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे, वहीं युसूफ 2011 वनडे वर्ल्ड कप टीम का अहम चेहरा बने। इसके बावजूद इरफ़ान का मानना है कि उन्हें सही समय पर सही मौके नहीं मिल पाए।
अपने करियर में इरफ़ान ने भारत के लिए टेस्ट, वनडे और टी20—तीनों प्रारूपों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी से भी टीम को संतुलन दिया। लेकिन न्यूजीलैंड दौरे की वह घटना उनके करियर का ऐसा मोड़ बन गई, जिसके बाद वे कभी टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए।
आज भी इरफ़ान इस बात को याद करते हैं कि अगर उस समय हालात कुछ और होते, तो शायद उनका करियर बहुत लंबा खिंचता। उनका कहना है कि हर खिलाड़ी मेहनत करता है, लेकिन टीम प्रबंधन के फैसले कई बार पूरी कहानी बदल देते हैं।