71% जनता ने किया सपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर बड़ा फैसला, जानें पूरी डिटेल

न्यूज़ मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर इस बात पर चर्चा जोरों पर है कि दिल्ली-एनसीआर में कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सुरक्षित आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। हालिया एक सर्वेक्षण में साफ हुआ है कि लगभग 71% लोग इस समझदारी भरे फैसले का समर्थन कर रहे हैं। बावजूद इसके सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को फिलहाल सुरक्षित रखते हुए निर्णय सुरक्षित कर लिया है।

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Supreme Court stray dogs decision
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जनता का रुख: क्यों 71% ने समर्थन किया?

दिल्ली और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे कई लोगों को डर, काटने या अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह कदम कई लोगों के लिए राहत भरा माना जा रहा है।

  • सर्वेक्षण से पता चला कि 71% लोग कोर्ट के आदेश के साथ सहमत हैं, यह दर्शाते हुए कि अधिकांश लोग सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
  • दूसरी ओर, जानवर प्रेमी समुदाय इस कदम को ह्रदयहीन और अमानवीय तक कह रहे हैं, क्योंकि यह निर्णय कुत्तों के अस्तित्व और कल्याण को नज़रअंदाज़ कर रहा है।

कोर्ट ने क्यों रखा फैसला सुरक्षित?

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुरक्षित रखने का निर्णय लिया है ताकि आगे की सुनवाई में सभी पक्षों की दलीलों को सुना जा सके और एक संतुलित, व्यावहारिक और मानवीय समाधान निकल सके।

  • यह इशारा करता है कि कोर्ट जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहती।
  • मुख्य न्यायाधीश ने फोकस किया है कि कुत्तों की वेलफ़ेयर और मानव सुरक्षा दोनों को पारस्परिक रूप से सुनिश्चित किया जाए।

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मुद्दे की जड़: गांव से शहर तक — कॉम्प्लेक्स समस्या

  • दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरों में आवारा कुत्तों की संख्या लाखों में है, लेकिन संपूर्ण शहर में उचित आश्रय या बंदोबस्त की व्यवस्था लुप्त है।
  • सुरक्षा और वेलफ़ेयर के बीच टकराव जारी है:
    • कुछ लोग इसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मानते हैं।
    • वहीं जानवर प्रेमी समुदाय इसे अमानवीय मानता है और सुझाव देते हैं कि स्टेरिलाइजेशन, वैक्सीनेशन और समुदाय आधारित देखभाल अधिक कारगर विकल्प हो सकते हैं।

निष्कर्ष: एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा

यह मामला कई दृष्टिकोणों से बेहद संवेदनशील है — अदालत का उद्देश्य स्पष्ट है, लेकिन कार्यान्वयन की राह मुश्किल है।

71% जनता का समर्थन दर्शाता है कि सुरक्षा की प्रबल भावना है, लेकिन जानवर प्रेमियों की संवेदनशील नाराजगी भी इसे एक मानव-उन्मुख मुद्दा बनाती है। अदालत का सुरक्षित रखना इस संतुलन को बनाए रखने का एक प्रयास लगता है — यह संकेत देने के लिए कि आगे सुनवाई में सभी पहलुओं को गहराई से समझा जाएगा।

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